कहाँ फ़ुर्क़त में है दिलदार उठना बैठना चलना

कहाँ फ़ुर्क़त में है दिलदार उठना बैठना चलना

तेरे आशिक़ को है दुश्वार उठना बैठना चलना

तुम्हारा वहशी-ए-लाग़र न ठहरा शहर में दम भर

पसंद आया सर-ए-कोहसार उठना बैठना चलना

फ़क़ीराना किसी के ज़ेर-ए-साए हम भी रहते हैं

हमेशा है पस-ए-दीवार उठना बैठना चलना

कहें क्या दोस्तो इस इश्क़ ने आजिज़ किया हम को

गिराँ होता है अब हर बार उठना बैठना चलना

'शबाब' इस बे-ख़ुदी में मश्ग़ला है बस यही बाक़ी

मियान-ए-कूचा-ए-दिलदार उठना बैठना चलना

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In Hindi By Famous Poet Shabab. is written by Shabab. Complete Poem in Hindi by Shabab. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.