शबाब कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का शबाब
नाम | शबाब |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Shabab |
मैं तिरे हुस्न का ख़ल्वत में तमाशाई हूँ
ख़त्त-ए-पेशानी में सफ़्फ़ाक अज़ल के दिन से
हुई मुद्दत कि मैं ने बुत-परस्ती छोड़ दी ज़ाहिद
कहाँ फ़ुर्क़त में है दिलदार उठना बैठना चलना
कभी भूल कर भी न बात की मुझे दिल से ऐसा भुला दिया
देख क्या तेरी जुदाई में है हालत मेरी
अभी तक उन के वही सितम हैं जफ़ा की ख़ू भी नहीं गई है
आशिक़ की जान जाती है इस बाँकपन को छोड़