दूर तक फैला हुआ पानी ही पानी हर तरफ़
अब के बादल ने बहुत की मेहरबानी हर तरफ़
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Habib Jalib
Allama Iqbal
Rahat Indori
Javed Akhtar
Gulzar
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(705) Peoples Rate This
माँगा था हम ने दिन वो सियह रात दे गया
ले के बे-शक हाथ में ख़ंजर चलो
बरतर समाज से कोई फ़नकार भी नहीं
हद्द-ए-सितम न कर कि ज़माना ख़राब है
शब-ए-विसाल थी रौशन फ़ज़ा में बैठा था
अन-गिनत शादाब जिस्मों की जवानी पी गया
आ गया है वक़्त अब भुगतोगे ख़ामियाज़े बहुत