शबाब ललित कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का शबाब ललित
नाम | शबाब ललित |
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अंग्रेज़ी नाम | Shabab Lalit |
दूर तक फैला हुआ पानी ही पानी हर तरफ़
शब-ए-विसाल थी रौशन फ़ज़ा में बैठा था
माँगा था हम ने दिन वो सियह रात दे गया
ले के बे-शक हाथ में ख़ंजर चलो
हद्द-ए-सितम न कर कि ज़माना ख़राब है
दूर तक फैला हुआ पानी ही पानी हर तरफ़
बरतर समाज से कोई फ़नकार भी नहीं
अन-गिनत शादाब जिस्मों की जवानी पी गया
आ गया है वक़्त अब भुगतोगे ख़ामियाज़े बहुत