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उन का ग़म भी न रहा पास तो फिर क्या होगा - शायर लखनवी कविता - Darsaal

उन का ग़म भी न रहा पास तो फिर क्या होगा

उन का ग़म भी न रहा पास तो फिर क्या होगा

लुट गई दौलत-ए-एहसास तो फिर क्या होगा

कौन ता-सुब्ह जलाएगा तमन्ना के चराग़

शाम से टूट गई आस तो फिर क्या होगा

जिन की दूरी में वो लज़्ज़त है कि बेताब है दिल

आ गए वो जो कहीं पास तो फिर क्या होगा

तुम से ज़िंदा है तमन्ना-ए-मज़ाक़-ए-एहसास

तुम हुए दुश्मन-ए-एहसास तो फिर क्या होगा

दिल ग़म-ए-दोस्त पे मग़रूर बहुत है लेकिन

ग़म भी आया न अगर रास तो फिर क्या होगा

अपनी मख़मूर निगाहों को न दो इज़्न-ए-ख़िराम

बढ़ गई और अगर प्यास तो फिर क्या होगा

हम परेशाँ थे परेशाँ हैं परेशाँ होंगे

तुम को आई न ख़ुशी रास तो फिर क्या होगा

अज़्मत-ए-इश्क़ है ख़ुद्दारी-ए-दिल तक 'शाएर'

बुझ गया शो'ला-ए-एहसास तो फिर क्या होगा

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In Hindi By Famous Poet Shaayar Lakhnavi. is written by Shaayar Lakhnavi. Complete Poem in Hindi by Shaayar Lakhnavi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.