हर-चंद कि साग़र की तरह जोश में रहिए
हर-चंद कि साग़र की तरह जोश में रहिए
साक़ी से मिले आँख तो फिर होश में रहिए
कुछ उस के तसव्वुर में वो राहत है कि बरसों
बैठे यूँही इस वादी-ए-गुल-पोश में रहिए
इक सादा तबस्सुम में वो जादू है कि पहरों
डूबे हुए इक नग़्मा-ए-ख़ामोश में रहिए
होती है यहाँ क़द्र किसे दीदा-वरी की
आँखों की तरह अपने ही आग़ोश में रहिए
ठहराई है अब हाल-ए-ग़म-ए-दिल ने ये सूरत
मस्ती की तरह दीदा-ए-मय-नोश में रहिए
हिम्मत ने चलन अब ये निकाला है कि चुभ कर
काँटे की तरह पा-ए-तलब-कोश में रहिए
आसूदा-दिली रास नहीं अर्ज़-ए-सुख़न को
है शर्त कि दरिया की तरह जोश में रहिए
(548) Peoples Rate This