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जब सबक़ दे उन्हें आईना ख़ुद-आराई का - सेहर इश्क़ाबादी कविता - Darsaal

जब सबक़ दे उन्हें आईना ख़ुद-आराई का

जब सबक़ दे उन्हें आईना ख़ुद-आराई का

हाल क्यूँ पूछें भला वो किसी सौदाई का

महव है अक्स-ए-दो-आलम मिरी आँखों में मगर

तू नज़र आता है मरकज़ मिरी बीनाई का

दोनों आलम रहे आग़ोश-कुशा जिस के लिए

मैं ने देखा है वो आलम तिरी अंगड़ाई का

आईना देख कर इंसाफ़ से कह दे ज़ालिम

क्या मिरा इश्क़ है मौजिब मिरी रुस्वाई का

'सेहर' मस्जूद-ए-दो-आलम किया उस को जिस ने

नक़्श ही नक़्श वो मेरी ही जबीं-साई का

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In Hindi By Famous Poet Sehr Ishqabadi. is written by Sehr Ishqabadi. Complete Poem in Hindi by Sehr Ishqabadi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.