सेहर इश्क़ाबादी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का सेहर इश्क़ाबादी
नाम | सेहर इश्क़ाबादी |
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अंग्रेज़ी नाम | Sehr Ishqabadi |
जन्म की तारीख | 1903 |
मौत की तिथि | 1978 |
वो दर्द है कि दर्द सरापा बना दिया
तेरी जफ़ा वफ़ा सही मेरी वफ़ा जफ़ा सही
पहली सी लज़्ज़तें नहीं अब दर्द-ए-इश्क़ में
हुस्न का हर ख़याल रौशन है
गुज़रने को तो गुज़रे जा रहे हैं राह-ए-हस्ती से
एक हम हैं रात भर करवट बदलते ही कटी
आह करता हूँ तो आती है पलट कर ये सदा
वो जो फ़िरदौस-ए-नज़र है आईना-ख़ाना अभी
तिरा वहशी कुछ आगे है जुनून-ए-फ़ित्ना-सामाँ से
तकमील-ए-इश्क़ जब हो कि सहरा भी छोड़ दे
तकमील-ए-इश्क़ जब हो कि सहरा भी छोड़ दे
रंग उड़ कर रौनक़-ए-तस्वीर आधी रह गई
मेरी क़िस्मत से क़फ़स का या तो दर खुलता नहीं
जिस से वफ़ा की थी उम्मीद उस ने अदा किया ये हक़
जब सबक़ दे उन्हें आईना ख़ुद-आराई का
हुस्न-ए-मुत्लक़ है क्या किसे मालूम
हुस्न-ए-मुत्लक़ है क्या किसे मालूम
हसीनों के तबस्सुम का तक़ाज़ा और ही कुछ है
फ़रिश्ते भी पहुँच सकते नहीं वो है मकाँ अपना
दावर ने बंदे बंदों ने दावर बना दिया