Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_98d86289bb4e0822f363f90cfbfcbf06, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
अजीब शाम थी जब लौट कर मैं घर आया - सीमान नवेद कविता - Darsaal

अजीब शाम थी जब लौट कर मैं घर आया

अजीब शाम थी जब लौट कर मैं घर आया

कोई चराग़ लिए मुंतज़िर नज़र आया

दुआ को हाथ उठाए ही थे ब-वक़्त-ए-सहर

कि इक सितारा मिरे हाथ पर उतर आया

तमाम उम्र तिरे ग़म की आबयारी की

तो शाख़-ए-जाँ में गुल-ए-ताज़ा का समर आया

फिर एक शाम दर-ए-दिल पे दस्तकें जागीं

और एक ख़्वाब के हमराह नामा-बर आया

गले से लग के मिरे पूछने लगा दरिया

क्यूँ अपनी प्यास को सहरा में छोड़ कर आया

ये किस दयार के क़िस्से सुना रहे हो 'नवेद'

ये किस हसीन का आँखों में ख़्वाब दर आया

(462) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Seeman Naved. is written by Seeman Naved. Complete Poem in Hindi by Seeman Naved. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.