कूचा-हा-ए-दिल-ओ-जाँ की तीरा-शबो आस मरती नहीं

कूचा-हा-ए-दिल-ओ-जाँ की तीरा-शबो आस मरती नहीं

आख़िरी साँस भरते सितारो सुनो आस मरती नहीं

चश्म-ए-गिर्यां ज़रा थम भी जा अश्क में दिल भी बह जाएगा

सब्र सहरा-ए-वहशत के मातम-गरो आस मरती नहीं

दर्द उठने से दिल के शरारे कहाँ बुझ सके हैं कभी

लाख रौशन निगाहों में ख़ूँ ला भरो आस मरती नहीं

वाली-ए-शहर नग़्मों का क़ातिल बजा पर हमें ग़म है क्या

फ़िक्र ज़िंदा हो जब तक मिरे शाइरो आस मरती नहीं

तुम से पहले भी ख़्वाबों की गर्दन उड़ाने बड़े आए थे

सर कटे ख़्वाब चिल्ला उठे दोस्तो आस मरती नहीं

राख बिन जल बुझे पर ये दिल से धुआँ अब भी उठता है क्यूँ

आँख में देखने की सकत हो न हो आस मरती नहीं

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In Hindi By Famous Poet Seemab Zafar. is written by Seemab Zafar. Complete Poem in Hindi by Seemab Zafar. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.