Ghazals of Seemab Zafar
नाम | सीमाब ज़फ़र |
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अंग्रेज़ी नाम | Seemab Zafar |
जन्म की तारीख | 1985 |
ज़ात की दीवार बीचों-बीच इक दर वा हुआ
यही ठहरा कि अब उस ओर जाना भी नहीं है
वाक़िफ़ हैं ख़ू-ए-यार से देखे चलन तमाम
टलने के नहीं अहल-ए-वफ़ा ख़ौफ़-ए-ज़ियाँ से
कूचा-हा-ए-दिल-ओ-जाँ की तीरा-शबो आस मरती नहीं
खोट की माला झूट जटाएँ अपने अपने ध्यान
ख़िरद के जुमला दसातीर से मुकरते हुए
कौन दरवाज़ा खुला रखता बराए इंतिज़ार
जो अपने घर को का'बा मानते हैं
फ़िराक़-मौसम के आसमाँ में उजाड़ तारे जुड़े हुए हैं