रुख़ तिरा माहताब की सूरत
रुख़ तिरा माहताब की सूरत
आँख जाम-ए-शराब की सूरत
मेरी फ़िक्र-ए-सुख़न भी रंगीं है
तेरे हुस्न-ए-शबाब की सूरत
मेरी आँखों में आ के बस जाओ
एक रंगीन ख़्वाब की सूरत
मेरे दिल पर मुहीत हो जाओ
कैफ़-ए-जाम-ए-शराब की सूरत
मुझ को मर्ग़ूब है तिरी आवाज़
नग़्मा-हा-ए-रबाब की सूरत
जिन के सर में हवा समाई थी
मिट गए वो हबाब की सूरत
उन की मेरी मिसाल है 'सीमाब'
शबनम-ओ-आफ़्ताब की सूरत
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