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रुख़ तिरा माहताब की सूरत - सीमाब बटालवी कविता - Darsaal

रुख़ तिरा माहताब की सूरत

रुख़ तिरा माहताब की सूरत

आँख जाम-ए-शराब की सूरत

मेरी फ़िक्र-ए-सुख़न भी रंगीं है

तेरे हुस्न-ए-शबाब की सूरत

मेरी आँखों में आ के बस जाओ

एक रंगीन ख़्वाब की सूरत

मेरे दिल पर मुहीत हो जाओ

कैफ़-ए-जाम-ए-शराब की सूरत

मुझ को मर्ग़ूब है तिरी आवाज़

नग़्मा-हा-ए-रबाब की सूरत

जिन के सर में हवा समाई थी

मिट गए वो हबाब की सूरत

उन की मेरी मिसाल है 'सीमाब'

शबनम-ओ-आफ़्ताब की सूरत

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In Hindi By Famous Poet Seemab Batalvi. is written by Seemab Batalvi. Complete Poem in Hindi by Seemab Batalvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.