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मज़ा जब है उसे बर्क़-ए-तजल्ला देखने वाले - सीमाब बटालवी कविता - Darsaal

मज़ा जब है उसे बर्क़-ए-तजल्ला देखने वाले

मज़ा जब है उसे बर्क़-ए-तजल्ला देखने वाले

जमाल-ए-यार में तहलील हो जा देखने वाले

नज़र आती तुझे हर ख़ाक के ज़र्रे में इक दुनिया

निगाह-ए-ग़ौर से तू ने न देखा देखने वाले

तुझे नज़दीक से भी एक दिन वो देख ही लेंगे

तसव्वुर में तिरा हुस्न-ए-दिल-आरा देखने वाले

ख़बर भी है तुझे कुछ ये तमाशा-गाह-ए-आलम है

तमाशा ख़ुद न बन जाना तमाशा देखने वाले

हरीम-ए-तूर का 'सीमाब' जब उठने लगा पर्दा

निदा ये ग़ैब से आई सँभल जा देखने वाले

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In Hindi By Famous Poet Seemab Batalvi. is written by Seemab Batalvi. Complete Poem in Hindi by Seemab Batalvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.