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मैं इक शाइ'र हूँ असरार-ए-हक़ीक़त खोल सकता हूँ - सीमाब बटालवी कविता - Darsaal

मैं इक शाइ'र हूँ असरार-ए-हक़ीक़त खोल सकता हूँ

मैं इक शाइ'र हूँ असरार-ए-हक़ीक़त खोल सकता हूँ

निदा-ए-ग़ैब बन कर सब के दिल में बोल सकता हूँ

ख़ुदा ने जिस तरह खोला है मेरे दिल की आँखों को

यूँही मैं हर किसी के दिल की आँखें खोल सकता हूँ

वदीअ'त की है क़ुदरत ने वो मीज़ान-ए-नज़र मुझ को

कि ख़ूब-ओ-ज़िश्त आलम को बख़ूबी तौल सकता हूँ

क़नाअ'त का ये आलम है कि मुश्त-ए-ख़ाक के बदले

जवाहर को भी मिट्टी में ख़ुशी से रोल सकता हूँ

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In Hindi By Famous Poet Seemab Batalvi. is written by Seemab Batalvi. Complete Poem in Hindi by Seemab Batalvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.