Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_778b89fa0e398d7e42f261582159b63f, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
बरसात - सीमाब अकबराबादी कविता - Darsaal

बरसात

बरखा आई बादल आए

ओढ़े काले कम्बल आए

ठंडी ठंडी आईं हवाएँ

काली काली छाईं घटाएँ

गर्मी ने डेरा उठवाया

धूप पे साया ग़ालिब आया

बादल से अमृत जल बरसा

अमृत जल कैसा कोमल बरसा

हो गई ज़िंदा मुर्दा खेती

ढल गए ज़र्रे चमकी खेती

दरिया और समुंदर उभरे

ताज़ा मौजें ले कर उभरे

बाग़ों में सब्ज़ा लहराया

फूलों कलियों में रस आया

फिर शाख़ों ने ख़िलअत पहनी

फिर पाए हरियाले गहने

फूल खिले कलियाँ लहराईं

कोंपलें फिर शाख़ों में आईं

मोती बादल ने बरसाए

पत्तों ने दामन फैलाए

तालाबों में मेंडक बोले

सीपों ने मुँह अपने खोले

बादल गरजा बिजली चमकी

आई सदा रिम-झिम रिम-झिम की

(1169) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Barsat In Hindi By Famous Poet Seemab Akbarabadi. Barsat is written by Seemab Akbarabadi. Complete Poem Barsat in Hindi by Seemab Akbarabadi. Download free Barsat Poem for Youth in PDF. Barsat is a Poem on Inspiration for young students. Share Barsat with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.