Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_1735c6d22d8ca42b8b0b8c7c8d1fd8fc, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
वो जब रंग-ए-परेशानी को ख़ल्वत-गीर देखेंगे - सीमाब अकबराबादी कविता - Darsaal

वो जब रंग-ए-परेशानी को ख़ल्वत-गीर देखेंगे

वो जब रंग-ए-परेशानी को ख़ल्वत-गीर देखेंगे

तो अपने हर तसव्वुर में मिरी तस्वीर देखेंगे

सुना है हुस्न को दह-चंद कर देता है ये शीशा

लगा कर अपने दिल में आप की तस्वीर देखेंगे

वफ़ा का तज़्किरा क्या अब तो ये इरशाद है उन का

कि तुम नाला करो हम गर्मी-ए-तासीर देखेंगे

शिकस्ता हर कड़ी है हर कड़ी में दिल के टुकड़े हैं

बड़ी इबरत से दीवाने मिरी ज़ंजीर देखेंगे

ख़याल-ए-हश्र ओ फ़िक्र-ए-नश्र ऐ 'सीमाब' ला-हासिल

कि है तक़दीर में जो कुछ बहर-तक़दीर देखेंगे

(572) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Seemab Akbarabadi. is written by Seemab Akbarabadi. Complete Poem in Hindi by Seemab Akbarabadi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.