रस्मन ही उन को नाला-ए-दिल की ख़बर तो हो
रस्मन ही उन को नाला-ए-दिल की ख़बर तो हो
यानी असर न हो तो फ़रेब-ए-असर तो हो
हम भी तुम्हारी बज़्म में हैं दर-ख़ुर-ए-करम
अच्छा वो मुस्तक़िल न सही इक नज़र तो हो
क्या फ़र्ज़ है कि हम न हों तक़दीर-आज़मा
दुनिया पड़ी हुई है दर-ए-यार पर तो हो
सब कह रहे हैं हम पे गिराँ है शब-ए-फ़िराक़
इस का भी कुछ इलाज करेंगे सहर तो हो
'सीमाब' आधी रात को आएँ वो बे-क़रार
तेरी दुआ-ए-दनीम-शबी में असर तो हो
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