मेरी रिफ़अत पर जो हैराँ है तो हैरानी नहीं
मेरी रिफ़अत पर जो हैराँ है तो हैरानी नहीं
तू अभी इंसान की अज़्मत का इरफ़ानी नहीं
और ये क्या है ज़ब्त जो सोज़-ए-पिन्हानी नहीं
आग रौशन दिल में है चेहरे पे ताबानी नहीं
फूल के पत्ते बिखर कर इक फ़साना कह गए
जिस की हो तरतीब मुमकिन वो परेशानी नहीं
मुझ पर इक इल्ज़ाम है क़ैद-ए-क़फ़स वो भी ग़लत
जिस की नीयत में हो आज़ादी वो ज़िंदानी नहीं
जोश-ए-गिर्या उस पर आहों की ये सैलाबी हवा
कौन सी है मौज-ए-अश्क ऐसी जो तूफ़ानी नहीं
राज़ ये मुझ पर शिकस्त-ए-ग़ुंचा-ओ-गुल से खुला
हुस्न भी तो बे-नियाज़-ए-चाक-दामानी नहीं
ख़्वाहिशों के साथ अपने नफ़्स को भी कर फ़ना
ज़िंदगी में इस से बेहतर कोई क़ुर्बानी नहीं
इत्तिफ़ाक़ात-ए-मोहब्बत ने ये साबित कर दिया
वो भी पेशानी में है शायद जो पेश आनी नहीं
दौलत-ए-कौनैन से भी है गिराँ-तर इक सुकूँ
दिल हो मुस्तग़नी तो परवा-ए-जहाँबानी नहीं
जावेदानी हूँ मैं ऐ दुनिया परस्तिश कर मिरी
ये मुसल्लम है कि तू फ़ानी है मैं फ़ानी नहीं
हौसलों के साथ तय कर राह-ए-दुश्वार-ए-हयात
हल तो होंगी मुश्किलें लेकिन ब-आसानी नहीं
देख ऐ साक़ी क़नाअत की तरब-अफ़्शानियाँ
आब-ए-कौसर है कटोरे में मिरे पानी नहीं
है मिरी नज़रों में अंजाम-ए-बहार-ए-गुलसिताँ
अब मिरे सर में हवा-ए-गुल बदामानी नहीं
बह चुका है ख़ून पानी की तरह इंसान का
मो'तदिल फिर भी मिज़ाज-ए-आलम-फ़ानी नहीं
कर न ऐ कुंज-ए-लहद ज़हमत मिरे आराम की
मैं मुजाहिद हूँ मुझे ख़ू-ए-तन-आसानी नहीं
कर रहा हूँ नज़्म ऐ 'सीमाब' क़ुरआन-ए-मजीद
और ये क्या है अगर ताईद-ए-यज़्दानी नहीं
(520) Peoples Rate This