ब-क़द्र-ए-शौक़ इक़रार-ए-वफ़ा क्या
ब-क़द्र-ए-शौक़ इक़रार-ए-वफ़ा क्या
हमारे शौक़ की है इंतिहा क्या
दुआ दिल से जो निकले कारगर हो
यहाँ दिल ही नहीं दिल से दुआ क्या
जो कहते हैं अब इस में कुछ नहीं है
कोई उन से ये पूछे मुझ में था क्या
न उस पर इख़्तियार अपना न इस पर
सर-ए-आग़ाज़ ओ फ़िक्र-ए-इंतिहा किया
सलामत दामन-ए-उम्मीद 'सीमाब'
मोहब्बत में किसी का आसरा क्या
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