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हम को आदत क़सम निभाने की - सीमा शर्मा सरहद कविता - Darsaal

हम को आदत क़सम निभाने की

हम को आदत क़सम निभाने की

उन की फ़ितरत है भूल जाने की

सर झुका कर मैं क्यूँ नहीं जीती

बस शिकायत यही ज़माने की

उस की शर्तों पे मुझ को है जीना

कैसी दीवानगी दिवाने की

उस को नफ़रत है या मोहब्बत है

फिर ज़रूरत है आज़माने की

बअ'द मरने के ले के जाऊँगी

आरज़ू अपने आशियाने की

मैं तो यूँ भी सुलग रही 'सरहद'

क्या पड़ी आग यूँ लगाने की

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In Hindi By Famous Poet Seema Sharma Sarhad. is written by Seema Sharma Sarhad. Complete Poem in Hindi by Seema Sharma Sarhad. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.