नज़र में अर्श-ए-बरीं है किसी को क्या मालूम

नज़र में अर्श-ए-बरीं है किसी को क्या मालूम

कहाँ ये ख़ाक-नशीं है किसी को क्या मालूम

तमाम हेच है दुनिया अलाएक़-ए-दुनिया

जो नक़्श ज़ेब-ए-जबीं है किसी को क्या मालूम

तुम्हें ख़बर ही नहीं क्या है विर्सा-ए-दरवेश

जहान-ए-ज़ेर-ए-नगीं है किसी को क्या मालूम

बिला सबब तो ये लर्ज़िश हुआ नहीं करती

जो आग ज़ेर-ए-ज़मीं है किसी को क्या मालूम

न दर खुला न दरीचे कभी खुले देखे

मकाँ में कौन मकीं है किसी को क्या मालूम

वो एक लफ़्ज़ जो उतरा न ज़ीना-ए-लब से

हमें उसी का यक़ीं है किसी को क्या मालूम

पयाम्बर की ज़रूरत न शरह-ए-दिल का ख़याल

वो किस का बला ज़हीं है किसी को क्या मालूम

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In Hindi By Famous Poet Seema Shakeeb. is written by Seema Shakeeb. Complete Poem in Hindi by Seema Shakeeb. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.