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सानेहे लाख सही हम पे गुज़रने वाले - सीमा नक़वी कविता - Darsaal

सानेहे लाख सही हम पे गुज़रने वाले

सानेहे लाख सही हम पे गुज़रने वाले

रास्तो हम भी नहीं डर के ठहरने वाले

मारने वाले कोई और सबब ढूँड कि हम

मारे जाने के तो डर से नहीं मरने वाले

कितनी जल्दी में हुआ ख़त्म मुलाक़ात का वक़्त

वर्ना क्या क्या न सवालात थे करने वाले

गुफ़्तुगू ख़ुद से हुई अपने ही हक़ में वर्ना

सच से इस बार तो हम भी थे मुकरने वाले

ज़िंदगी अपनी तमाशा ही सही लेकिन हम

कोई किरदार मुसलसल नहीं करने वाले

एक काग़ज़ के भरोसे पे बना कर कश्ती

गहरे पानी में उतरते हैं उतरने वाले

प्यास भड़काएँ जहाँ सिर्फ़ रवय्यों के सराब

हम भी इस दश्त में पाँव नहीं धरने वाले

हम में क्यूँ बात कभी हो नहीं पाती 'सीमा'

हम किसी रोज़ यही बात थे करने वाले

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In Hindi By Famous Poet Seema Naqvi. is written by Seema Naqvi. Complete Poem in Hindi by Seema Naqvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.