सर्द होते हुए वजूद में बस
कुछ नहीं था अलाव आँखें थीं
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मुझ को उस के नहीं ख़ुद मेरे हवाले करते
जज़्बों पर जब बर्फ़ जमे तो जीना मुश्किल होता है
ऐसे कुछ हादसे भी गुज़रे हैं
एक आवाज़ मैं ने सुनी थी अभी कौन बोला था ये तो ख़बर ही नहीं
बे-क़रारी से मिरे पास वो आया लेकिन
परिंदा
बारिश थी और अब्र था दरिया था और बस
इक क़यामत का घाव आँखें थीं
हमारे सानेहे हम को सुना रहे क्यूँ हो
मैं ने कहा था मुझ को अँधेरे का ख़ौफ़ है
डिकलाइन