जज़्बों पर जब बर्फ़ जमे तो जीना मुश्किल होता है
दिल के आतिश-दान में थोड़ी आग जलानी पड़ती है
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Gulzar
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
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मुझ को उस के नहीं ख़ुद मेरे हवाले करते
एक आवाज़ मैं ने सुनी थी अभी कौन बोला था ये तो ख़बर ही नहीं
हद से बढ़ने लगी जब मेरी घुटन तो देखा
मैं ने कहा था मुझ को अँधेरे का ख़ौफ़ है
मैं एक रोज़ उसे ढूँड कर तो ले आऊँ
ख़ुद अपने-आप से मिलने की ख़ातिर
डिकलाइन
बारिश थी और अब्र था दरिया था और बस
इक क़यामत का घाव आँखें थीं
सर्द होते हुए वजूद में बस
शिकायत