एक आवाज़ मैं ने सुनी थी अभी कौन बोला था ये तो ख़बर ही नहीं
ये तअल्लुक़ ज़रूरी है किस ने कहा वो भी ख़ामोश था मैं भी ख़ामोश थी
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
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Javed Akhtar
Rahat Indori
Gulzar
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
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बे-क़रारी से मिरे पास वो आया लेकिन
इक क़यामत का घाव आँखें थीं
ख़ुद अपने-आप से मिलने की ख़ातिर
हद से बढ़ने लगी जब मेरी घुटन तो देखा
सर्द होते हुए वजूद में बस
जज़्बों पर जब बर्फ़ जमे तो जीना मुश्किल होता है
मुझ को उस के नहीं ख़ुद मेरे हवाले करते
मैं ने कहा था मुझ को अँधेरे का ख़ौफ़ है
डिकलाइन
हमारे सानेहे हम को सुना रहे क्यूँ हो
परिंदा