क्या बतलाएँ याद नहीं कब इश्क़ के हम बीमार हुए

क्या बतलाएँ याद नहीं कब इश्क़ के हम बीमार हुए

ऐसा लगे है अर्सा गुज़रा हम को ये आज़ार हुए

आप का शिकवा आप से करना जू-ए-शीर का लाना है

आप के सामने बोलूँ कैसे आप मिरी सरकार हुए

तीर की तरह किरनें बरसीं सुब्ह निकलते सूरज की

लहूलुहान था सारा चेहरा नींद से जब बेदार हुए

अद्ल की तो ज़ंजीर हिलाने हम भी गए दरवाज़े तक

हाथ मगर ज़ंजीर न आई मातूब-ए-दरबार हुए

जो भी ज़ख़्म लिए थे दिल पर हम ने उन की चाहत में

उन से कह देना वो सारे ज़ख़्म गुल-ओ-गुलज़ार हुए

'मीर' का तो अहवाल पढ़ा है क्या 'नुसरत' तुम भूल गए

ये नगरी है इश्क़ की नगरी क्या क्या सय्यद ख़्वार हुए

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In Hindi By Famous Poet Sayyad Nusrat Zaidi. is written by Sayyad Nusrat Zaidi. Complete Poem in Hindi by Sayyad Nusrat Zaidi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.