महफ़िल-ए-दोस्त में गो सीना-फ़िगार आए हैं

महफ़िल-ए-दोस्त में गो सीना-फ़िगार आए हैं

सूरत-ए-नग़्मा ब-अंदाज़-ए-बहार आए हैं

इस नज़र से कि तिरे ज़ुल्म की तश्हीर न हो

बे-क़रारी में लिए दिल का क़रार आए हैं

एक पिंदार-ए-ख़ुदी जिस को बचा रक्खा था

आज हम वो भी तिरी बज़्म में हार आए हैं

ज़ुल्मत-ए-शाम-ए-ख़िज़ाँ याद करेगी बरसों

हम जब आए हैं गुलिस्ताँ-ब-कनार आए हैं

ऐ रफ़ीक़ान-ए-रह-ए-शौक़ कहाँ हो बोलो

हम तुम्हें शहर-ओ-बयाबाँ में पुकार आए हैं

है पुर-आशोब फ़ज़ा फिर भी किसी जानिब से

दिल के वीराने में पैग़ाम-ए-बहार आए हैं

ग़म-ए-मंज़िल में भटकते ही गुज़र जाती है

छोड़ कर जब से तेरी राह-ए-गुज़र आए हैं

ज़िंदगी रोज़ नई लगती है दिल वालों को

गरचे हर रोज़ वही लैल-ओ-नहार आए हैं

देखना लूटी गई कौन सी बस्ती यारो

उड़ के दिल तक जो कुदूरत के ग़ुबार आए हैं

अपने अंजाम से ख़ुश अपनी वफ़ा पर नाज़ाँ

मुस्कुराते हुए हम जानिब-ए-दार आए हैं

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In Hindi By Famous Poet Sayyad Ehtisham Husain. is written by Sayyad Ehtisham Husain. Complete Poem in Hindi by Sayyad Ehtisham Husain. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.