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हर किसी आँख का बदला हुआ मंज़र होगा - साईल इमरान कविता - Darsaal

हर किसी आँख का बदला हुआ मंज़र होगा

हर किसी आँख का बदला हुआ मंज़र होगा

शहर-दर-शहर मसीहाओं का लश्कर होगा

आइना-रू है अगर दिल तो हिफ़ाज़त कीजे

किस को मा'लूम है किस हाथ में पत्थर होगा

ले के पैग़ाम-ए-ख़िज़ाँ आया है मेरे दर पे

वो जो कहता था कि आँगन में सनोबर होगा

फिर सियासत की महक आने लगी है मुझ को

जाने अब कौन मिरे शहर में बे-घर होगा

छू के देखो तो सही उस में नमी बाक़ी है

ये जो सहरा है किसी वक़्त समुंदर होगा

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In Hindi By Famous Poet Sayil Imran. is written by Sayil Imran. Complete Poem in Hindi by Sayil Imran. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.