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तेरे तसव्वुरात से बचना है अब मुहाल भी - सय्यद ज़िया अल्वी कविता - Darsaal

तेरे तसव्वुरात से बचना है अब मुहाल भी

तेरे तसव्वुरात से बचना है अब मुहाल भी

कुछ तो है तेरी फ़िक्र भी कुछ है तिरा ख़याल भी

ऐ दोस्त आ के देख ले इश्क़ का ये कमाल भी

तू ही मिरा जवाब है तू ही मिरा सवाल भी

आई तुम्हारी याद जब ढल गई लम्हों में सदी

ऐसा लगा कि रुक गई गर्दिश-ए-माह-ओ-साल भी

दूरी के बावजूद भी टकरा रही है साँस अब

ऐसी जुदाई पर करूँ क़ुर्बान सद-विसाल भी

कोई ज़माने में नहीं जिस पे हो तेरा अक्स भी

किस से मिसाल दूँ तिरी मिलती नहीं मिसाल भी

नाज़ कभी न कीजिए अपने उरूज-ए-हाल पर

ब'अद-ए-कमाल ऐ 'ज़िया' आता है इक ज़वाल भी

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In Hindi By Famous Poet Sayed Zia Alvi. is written by Sayed Zia Alvi. Complete Poem in Hindi by Sayed Zia Alvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.