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घुट के रह जाऊँगा बे-एहसास ग़म-ख़्वारों के पेच - सय्यद नसीर शाह कविता - Darsaal

घुट के रह जाऊँगा बे-एहसास ग़म-ख़्वारों के पेच

घुट के रह जाऊँगा बे-एहसास ग़म-ख़्वारों के पेच

आ गया हूँ अपने ही कमरे की दीवारों के बीच

मैं मिरा दिल रात पीला चाँद तेरी याद का

मर रही है इक कहानी अपने किरदारों के बीच

मुर्तइश हैं चंद साँसें तो सुकूत-ए-शहर में

कोई तो ज़िंदा है इस मलबे के अम्बारों के बीच

घुट के मर जाएँ नदामत से न अपने रहनुमा

फँस गई हैं गर्दनें तहसीन के हारों के बीच

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In Hindi By Famous Poet Sayed Naseer Shah. is written by Sayed Naseer Shah. Complete Poem in Hindi by Sayed Naseer Shah. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.