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ग़ुलाम वहम ओ गुमाँ का नहीं यक़ीं का हूँ - सय्यद नसीर शाह कविता - Darsaal

ग़ुलाम वहम ओ गुमाँ का नहीं यक़ीं का हूँ

ग़ुलाम वहम ओ गुमाँ का नहीं यक़ीं का हूँ

ज़मीन मेरा सितारा है मैं ज़मीं का हूँ

वो और होंगे परस्तार तख़्त वालों के

मैं जाँ-निसार शह-ए-बोरिया-नशीं का हूँ

सवाद-ए-रूह के मंज़र मदीना जैसे हैं

ख़याल आता है मैं भी यहीं कहीं का हूँ

सुनो कि विर्से में बटती हुई अमानत हूँ

मैं हर्फ़-ए-सिद्क़ लब-ए-सादिक़-ओ-अमीं का हूँ

भटक रहा हूँ ख़ला के सराब-ज़ारों में

मैं कोई सज्दा अक़ीदत-भरी जबीं का हूँ

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In Hindi By Famous Poet Sayed Naseer Shah. is written by Sayed Naseer Shah. Complete Poem in Hindi by Sayed Naseer Shah. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.