ईरानी फ़साहत और हिजाज़ी ग़ैरत
यूनानी बलाग़त और रूमी हिकमत
तुरकाना जलालत और चीनी सनअ'त
जिस क़ौम में आम हो है क़ौमी इज़्ज़त
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Gulzar
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Habib Jalib
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
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अख़्लाक़ के उंसुर हों अगर अस्ल मिज़ाज
मर्ग़ूब हो गर तुम को उमूमी शाबाश
लाज़िम नहीं इस दौलत-ए-फ़ानी पे दिमाग़
अंजाम ख़ुशी का दुनिया में सच कहते हो ग़म होता है
है इश्क़ तो फिर असर भी होगा
दौलत के भरोसे पे न होना ग़ाफ़िल
तालीम की मीज़ान में हैं तुलते जाते
हम रो रो अश्क बहाते हैं वो तूफ़ाँ बैठे उठाते हैं
शब-ए-फ़िराक़ का छाया हुआ है रोब ऐसा
कहाँ नसीब ज़मुर्रद को सुर्ख़-रूई ये
बूँद अश्कों से अगर लुत्फ़-ए-रवानी माँगे