मिट्टी का ही घर न होगा बर्बाद
मिट्टी तिरे तन का घर भी होगा
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Anwar Masood
Rahat Indori
Wasi Shah
Gulzar
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(496) Peoples Rate This
शब-ए-फ़िराक़ का छाया हुआ है रोब ऐसा
कहते हो कि कर लेंगे हम इस काम को कल
बूँद अश्कों से अगर लुत्फ़-ए-रवानी माँगे
अख़्लाक़ के उंसुर हों अगर अस्ल मिज़ाज
जिस इल्म से अच्छों की हो ख़ूबी ज़ाहिर
अंजाम ख़ुशी का दुनिया में सच कहते हो ग़म होता है
पाता नहीं मौत पर कोई शख़्स ज़फ़र
तालीम की मीज़ान में हैं तुलते जाते
'शहबाज़' में ऐब ही नहीं कुल
तन ऐश का घर है इस का अस्बाब है रूह
ख़ुदा ने मुँह में ज़बान दी है तो शुक्र ये है कि मुँह से बोलो
ये बात अजीब निगाह में आई है