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है इश्क़ तो फिर असर भी होगा - सययद मोहम्म्द अब्दुल ग़फ़ूर शहबाज़ कविता - Darsaal

है इश्क़ तो फिर असर भी होगा

है इश्क़ तो फिर असर भी होगा

जितना है इधर उधर भी होगा

माना ये कि दिल है उस का पत्थर

पत्थर में निहाँ शरर भी होगा

हँसने दे उसे लहद पे मेरी

इक दिन वही नौहागर भी होगा

नाला मिरा गर कोई शजर है

इक रोज़ ये बारवर भी होगा

नादाँ न समझ जहान को घर

इस घर से कभी सफ़र भी होगा

मिट्टी का ही घर न होगा बर्बाद

मिट्टी तिरे तन का घर भी होगा

ज़ुल्फ़ों से जो उस की छाएगी रात

चेहरे से अयाँ क़मर भी होगा

गाली से न डर जो दें वो बोसा

है नफ़ा जहाँ ज़रर भी होगा

रखता है जो पाँव रख समझ कर

इस राह में नज़्र सर भी होगा

उस बज़्म की आरज़ू है बेकार

हम सूँ का वहाँ गुज़र भी होगा

'शहबाज़' में ऐब ही नहीं कुल

एक आध कोई हुनर भी होगा

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In Hindi By Famous Poet Sayad Mohammad Abdul Ghafoor Shahbaz. is written by Sayad Mohammad Abdul Ghafoor Shahbaz. Complete Poem in Hindi by Sayad Mohammad Abdul Ghafoor Shahbaz. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.