सामान है इस दर्जा अम्बार से सर फोड़ो
सामान है इस दर्जा अम्बार से सर फोड़ो
दीदार करो छत का दीवार से सर फोड़ो
दरिया के मुसाफ़िर को साहिल की तमन्ना क्यूँ
गिर्दाब से तुम उलझो मझंदार से सर फोड़ो
आग़ोश में टीवी की हर शाम करो काली
हर सुब्ह इसी बासी अख़बार से सर फोड़ो
दुनिया के तकब्बुर से तुम बअ'द में टकराना
फ़िलहाल मियाँ अपने पिंदार से सर फोड़ो
मत देख के घबराओ लोगों से पटी सड़कें
बेहतर है इसी रश्क-ए-कोहसार से सर फोड़ो
कोमल हैं रगें इस की नाज़ुक है बदन 'सौरभ'
आराम से धीरे से अब प्यार से सर फोड़ो
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