Ghazals of Saurabh Shekhar
नाम | सौरभ शेखर |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Saurabh Shekhar |
यक़ीन मर गया मिरा गुमान भी नहीं बचा
वीरानियों के ख़ार तो फूलों की छुवन भी
तन्हाई का इलाज ये महँगा बहुत पड़ा
सियाह रात के दरिया को पार करते चलो
संजीदगी की ख़ास ज़रूरत तो है नहीं
सामान है इस दर्जा अम्बार से सर फोड़ो
फूटे मन से बोल, लगा ये ज़िंदा हूँ मैं
पानी में कंकर बरसाया करते थे
मिला न खेत से उस को भी आब-ओ-दाना क्या
मेरी तुझ से क्या टक्कर है
कोई दिलकश सा अफ़्साना किसी दिलदार की बातें
ख़राबे में बौछार हो कर रहेगी
हिर्स-ओ-हवस के नाम ये दिन रात की तलब
घर के बाहर भी तो झाँका जा सकता है
फ़ज़ा का हब्स चीरती हुई हवा उठे
एक रौज़न के अभी किरदार में हूँ मैं
इक चराग़-ए-दिल फ़क़त रौशन अगर मेरा भी है
चूर अना कर दी पत्थर-पन तोड़ दिया
आसाँ तो न था धूप में सहरा का सफ़र कुछ
आख़िरश आराइशों की ज़िंदगी चुभने लगी