मैं ने तुम को दिल दिया और तुम ने मुझे रुस्वा किया
मैं ने तुम से क्या किया और तुम ने मुझ से क्या किया
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बहार-ए-बाग़ हो मीना हो जाम-ए-सहबा हो
जो गुल है याँ सो उस गुल-ए-रुख़्सार साथ है
ये रंजिश में हम को है बे-इख़्तियारी
धूम से सुनते हैं अब की साल आती है बहार
बे-सबाती ज़माने की नाचार
दामन सबा न छू सके जिस शह-सवार का
काम आई कोहकन की मशक़्क़त न इश्क़ में
किस मुँह से फिर तू आप को कहता है इश्क़-बाज़
ज़ाहिद सभी हैं नेमत-ए-हक़ जो है अक्ल-ओ-शर्ब
गर यार के सामने मैं रोया तो क्या
वे सूरतें इलाही किस मुल्क बस्तियाँ हैं
'सौदा' हुए जब आशिक़ क्या पास आबरू का