गर तुझ में है वफ़ा तो जफ़ाकार कौन है
दिल-दार तू हुआ तो दिल-आज़ार कौन है
Gulzar
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Jaun Eliya
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(455) Peoples Rate This
यूँ देख मिरे दीदा-ए-पुर-आब की गर्दिश
ये रंजिश में हम को है बे-इख़्तियारी
बुलबुल ने जिसे जा के गुलिस्तान में देखा
बादशाहत दो जहाँ की भी जो होवे मुझ को
हर संग में शरार है तेरे ज़ुहूर का
दामन सबा न छू सके जिस शह-सवार का
वे सूरतें इलाही किस मुल्क बस्तियाँ हैं
नासेह को जेब सीने से फ़ुर्सत कभू न हो
मक़्दूर नहीं उस की तजल्ली के बयाँ का
है मुद्दतों से ख़ाना-ए-ज़ंजीर बे-सदा
बहार-ए-बाग़ हो मीना हो जाम-ए-सहबा हो
मगर वो दीद को आया था बाग़ में गुल के