फ़िक्र-ए-मआश इश्क़-ए-बुताँ याद-ए-रफ़्तगाँ
इस ज़िंदगी में अब कोई क्या क्या किया करे
Habib Jalib
Anwar Masood
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1493) Peoples Rate This
ऐ दीदा ख़ानुमाँ तू हमारा डुबो सका
दिल में तिरे जो कोई घर कर गया
इस कश्मकश से दाम के क्या काम था हमें
गिला लिखूँ मैं अगर तेरी बेवफ़ाई का
मस्त-ए-सहर ओ तौबा-कुनाँ शाम का हूँ मैं
कब दिल शिकस्त-गाँ से कर अर्ज़-ए-हाल आया
अबस तू घर बसाता है मिरी आँखों में ऐ प्यारे
दिल ले के हमारा जो कोई तालिब-ए-जाँ है
किस मुँह से फिर तू आप को कहता है इश्क़-बाज़
अम्मामे को उतार के पढ़ीयो नमाज़ शैख़
यूँ देख मिरे दीदा-ए-पुर-आब की गर्दिश
मगर वो दीद को आया था बाग़ में गुल के