Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_103e6f8914c00fe72a4737e5505ea8f4, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
गुल फेंके है औरों की तरफ़ बल्कि समर भी - मोहम्मद रफ़ी सौदा कविता - Darsaal

गुल फेंके है औरों की तरफ़ बल्कि समर भी

गुल फेंके है औरों की तरफ़ बल्कि समर भी

ऐ ख़ाना-बर-अंदाज़-ए-चमन कुछ तो इधर भी

क्या ज़िद है मिरे साथ ख़ुदा जाने वगरना

काफ़ी है तसल्ली को मिरी एक नज़र भी

ऐ अब्र क़सम है तुझे रोने की हमारे

तुझ चश्म से टपका है कभू लख़्त-ए-जिगर भी

ऐ नाला सद अफ़्सोस जवाँ मरने पे तेरे

पाया न तनिक देखने तीं रू-ए-असर भी

किस हस्ती-ए-मौहूम पे नाज़ाँ है तू ऐ यार

कुछ अपने शब-ओ-रोज़ की है तुज को ख़बर भी

तन्हा तिरे मातम में नहीं शाम-ए-सियह-पोश

रहता है सदा चाक गरेबान-ए-सहर भी

'सौदा' तिरी फ़रियाद से आँखों में कटी रात

आई है सहर होने को टुक तू कहीं मर भी

(660) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Sauda Mohammad Rafi. is written by Sauda Mohammad Rafi. Complete Poem in Hindi by Sauda Mohammad Rafi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.