Ghazals of Sauda Mohammad Rafi
नाम | मोहम्मद रफ़ी सौदा |
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अंग्रेज़ी नाम | Sauda Mohammad Rafi |
जन्म की तारीख | 1713 |
मौत की तिथि | 1780 |
जन्म स्थान | Delhi |
यूँ देख मिरे दीदा-ए-पुर-आब की गर्दिश
या रब कहीं से गर्मी-ए-बाज़ार भेज दे
वे सूरतें इलाही किस मुल्क बस्तियाँ हैं
तुझ क़ैद से दिल हो कर आज़ाद बहुत रोया
तुझ इश्क़ के मरीज़ की तदबीर शर्त है
तुझ बिन बहुत ही कटती है औक़ात बे-तरह
सदमा हर-चंद तिरे जौर से जाँ पर आया
ने ग़रज़ कुफ़्र से रखते हैं न इस्लाम से काम
नसीम है तिरे कूचे में और सबा भी है
नासेह को जेब सीने से फ़ुर्सत कभू न हो
मस्त-ए-सहर ओ तौबा-कुनाँ शाम का हूँ मैं
मक़्दूर नहीं उस की तजल्ली के बयाँ का
मगर वो दीद को आया था बाग़ में गुल के
ले दीदा-ए-तर जिधर गए हम
किस के हैं ज़ेर-ए-ज़मीं दीदा-ए-नम-नाक हनूज़
कीजिए न असीरी में अगर ज़ब्त नफ़स को
करता हूँ तेरे ज़ुल्म से हर बार अल-ग़ियास
कहते हैं लोग यार का अबरू फड़क गया
कब दिल शिकस्त-गाँ से कर अर्ज़-ए-हाल आया
जो गुज़री मुझ पे मत उस से कहो हुआ सो हुआ
जो गुल है याँ सो उस गुल-ए-रुख़्सार साथ है
जिस दम वो सनम सवार होवे
जब यार ने उठा कर ज़ुल्फ़ों के बाल बाँधे
जब नज़र उस की आन पड़ती है
हिन्दू हैं बुत-परस्त मुसलमाँ ख़ुदा-परस्त
हस्ती को तिरी बस है मियाँ गुल की इशारत
हर संग में शरार है तेरे ज़ुहूर का
गुल फेंके है औरों की तरफ़ बल्कि समर भी
ग़ुंचे से मुस्कुरा के उसे ज़ार कर चले
गर तुझ में है वफ़ा तो जफ़ाकार कौन है