मोहम्मद रफ़ी सौदा कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का मोहम्मद रफ़ी सौदा
नाम | मोहम्मद रफ़ी सौदा |
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अंग्रेज़ी नाम | Sauda Mohammad Rafi |
जन्म की तारीख | 1713 |
मौत की तिथि | 1780 |
जन्म स्थान | Delhi |
'सौदा' शेर में है बड़ाई तुझ को
कोताह न उम्र-ए-मय-परस्ती कीजे
गर यार के सामने मैं रोया तो क्या
ऐ शैख़-ए-हरम तक तुझे आना जाना
ज़ालिम न मैं कहा था कि इस ख़ूँ से दरगुज़र
ज़ाहिद सभी हैं नेमत-ए-हक़ जो है अक्ल-ओ-शर्ब
ये तो नहीं कहता हूँ कि सच-मुच करो इंसाफ़
ये रंजिश में हम को है बे-इख़्तियारी
यारो वो शर्म से जो न बोला तो क्या हुआ
वे सूरतें इलाही किस मुल्क बस्तियाँ हैं
तुम कान धर सुनो न सुनो उस के हर्फ़ को
तिरा ख़त आने से दिल को मेरे आराम क्या होगा
'सौदा' तू इस ग़ज़ल को ग़ज़ल-दर-ग़ज़ल ही कह
'सौदा' तिरी फ़रियाद से आँखों में कटी रात
'सौदा' की जो बालीं पे गया शोर-ए-क़यामत
'सौदा' ख़ुदा के वास्ते कर क़िस्सा मुख़्तसर
'सौदा' जो तिरा हाल है इतना तो नहीं वो
'सौदा' जो बे-ख़बर है वही याँ करे है ऐश
'सौदा' जहाँ में आ के कोई कुछ न ले गया
'सौदा' हुए जब आशिक़ क्या पास आबरू का
साक़ी हमारी तौबा तुझ पर है क्यूँ गवारा
साक़ी गई बहार रही दिल में ये हवस
समझे थे हम जो दोस्त तुझे ऐ मियाँ ग़लत
नौबत-ए-क़ैस हो चुकी आख़िर
नसीम है तिरे कूचे में और सबा भी है
नहीं है घर कोई ऐसा जहाँ उस को न देखा हो
न कर 'सौदा' तू शिकवा हम से दिल की बे-क़रारी का
न जिया तेरी चश्म का मारा
मौज-ए-नसीम आज है आलूदा गर्द से
मत पूछ ये कि रात कटी क्यूँके तुझ बग़ैर