सऊद उस्मानी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का सऊद उस्मानी
नाम | सऊद उस्मानी |
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अंग्रेज़ी नाम | Saud Usmani |
जन्म की तारीख | 1958 |
जन्म स्थान | Karachi |
ये तो दुनिया भी नहीं है कि किनारा कर ले
ये मेरी काग़ज़ी कश्ती है और ये मैं हूँ
ये जो मैं इतनी सहूलत से तुझे चाहता हूँ
यकजाई से पल भर की ख़ुद-आराई भली थी
वो चाहता था कि देखे मुझे बिखरते हुए
उन से भी मेरी दोस्ती उन से भी रंजिशें
तेरी शिकस्त अस्ल में मेरी शिकस्त है
तमाम उम्र यहाँ किस का इंतिज़ार हुआ है
सूरज के उफ़ुक़ होते हैं मंज़िल नहीं होती
समझ लिया था तुझे दोस्त हम ने धोके में
पक्का रस्ता कच्ची सड़क और फिर पगडंडी
नज़र तो अपने मनाज़िर के रम्ज़ जानती है
मिज़ाज-ए-दर्द को सब लफ़्ज़ भी क़ुबूल न थे
मैं चाहता हूँ उसे और चाहने के सिवा
कुछ और भी दरकार था सब कुछ के अलावा
किसी अलाव का शोला भड़क के बोलता है
ख़्वाहिश है कि ख़ुद को भी कभी दूर से देखूँ
इतनी सियाह-रात में इतनी सी रौशनी
हर शय से पलट रही हैं नज़रें
हर इक उफ़ुक़ पे मुसलसल तुलूअ होता हुआ
हैरत से तकता है सहरा बारिश के नज़राने को
बरून-ए-ख़ाक फ़क़त चंद ठेकरे हैं मगर
बहुत दिनों में मिरे घर की ख़ामोशी टूटी
ऐसा है कि सिक्कों की तरह मुल्क-ए-सुख़न में
आख़िर इक रोज़ उतरनी है लिबादों की तरह
शाम से गहरा चाँद से उजला एक ख़याल
नुमू-पज़ीर है इक दश्त-ए-बे-नुमू मुझ में
नज़रों की तरह लोग नज़ारे की तरह हम
नज़र के भेद सब अहल-ए-नज़र समझते हैं
मता-ए-हर्फ़ भी ख़ुश्बू के मा-सिवा क्या है