साक़ी की हर निगाह में सहबा थी जाम था

साक़ी की हर निगाह में सहबा थी जाम था

कल शग़्ल-ए-मय-कशी का हमें इज़्न-ए-आम था

हम कुश्ता-ए-ख़िज़ाँ सही ऐ दोस्तो मगर

आसूदा-ए-बहार हमारा ही नाम था

मेरे बग़ैर आज वो कितने हैं शादमाँ

जिन को मिरे फ़िराक़ में जीना हराम था

देखा जो मय-कदे में उसे और बढ़ गया

मेरी नज़र में शैख़ का जो एहतिराम था

हम बे-नियाज़ियों का गिला तुझ से क्या करें

ऐ दोस्त अपना जज़्बा-ए-उल्फ़त ही ख़ाम था

उन से नज़र मिली कि नई ज़िंदगी मिली

उन की निगाह-ए-नाज़ में कैसा पयाम था

दार-ओ-रसन को चूम के क़ुर्बान हो गया

'जाँबाज़' बिल-यक़ीन ये तेरा ही काम था

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In Hindi By Famous Poet Satyapal Janbaz. is written by Satyapal Janbaz. Complete Poem in Hindi by Satyapal Janbaz. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.