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ज़िंदगी के कटहरे में इक बे-ख़ता आदमी की तरह - सत्तार सय्यद कविता - Darsaal

ज़िंदगी के कटहरे में इक बे-ख़ता आदमी की तरह

ज़िंदगी के कटहरे में इक बे-ख़ता आदमी की तरह

हम मुख़ातिब हुए आप से बे-नवा आदमी की तरह

दूरियों से उभरता हुआ अक्स तस्वीर बनता गया

गुफ़्तुगू रात करती थी हम से हवा आदमी की तरह

कौन क्या सोचता है हमारे रवय्यों पे सोचा नहीं

उम्र हम ने गुज़ारी है इक मुब्तला आदमी की तरह

रौज़नों तक से कोई मकीं झाँकता ये भी मुमकिन न था

दस्तकें देती फिरती थी बाद-ए-सबा आदमी की तरह

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In Hindi By Famous Poet Sattar Syed. is written by Sattar Syed. Complete Poem in Hindi by Sattar Syed. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.