वो चराग़ सा कफ़-ए-रहगुज़ार में कौन था
वो चराग़ सा कफ़-ए-रहगुज़ार में कौन था
मैं कहाँ था और मिरे इंतिज़ार में कौन था
कोई धूल उड़ती थी रास्तों पे न खुल सका
वो ग़नीम था कि कुमक ग़ुबार में कौन था
कोई शाम हल्क़ा-ए-दोस्ताँ में गुज़ारता
जिसे जा के मिलता मैं उस दयार में कौन था
मिरे ख़्वाब किस ने चुरा लिए सर-ए-शाम-ए-ग़म
मिरी उम्र जिस के थी इख़्तियार में कौन था
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