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वही है दश्त-ए-सफ़र रहगुज़र से आगे भी - सत्तार सय्यद कविता - Darsaal

वही है दश्त-ए-सफ़र रहगुज़र से आगे भी

वही है दश्त-ए-सफ़र रहगुज़र से आगे भी

वही ख़ला है हुदूद-ए-नज़र से आगे भी

वो आफ़्ताब उसी सहन में मुअल्लक़ है

अगरचे घर हैं बहुत उस के घर से आगे भी

हमारे दम से है क़ाएम ज़मीं की ज़रख़ेज़ी

हमारा फ़ैज़ है शाख़-ए-शजर से आगे भी

तलाश-ए-नूर में हम बारहा निकल आए

नज़र के साथ हुदूद-ए-सफ़र से आगे भी

ग़लत उमीद न बाँधो नहीफ़ लोगों से

कोई उड़ा है भला बाल-ओ-पर से आगे भी

यहाँ से लौट चलो जान की अमाँ चाहो

कई तिलिस्म हैं दीवार-ओ-दर से आगे भी

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In Hindi By Famous Poet Sattar Syed. is written by Sattar Syed. Complete Poem in Hindi by Sattar Syed. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.