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पस-ए-आइना ख़द-ओ-ख़ाल में कोई और था - सत्तार सय्यद कविता - Darsaal

पस-ए-आइना ख़द-ओ-ख़ाल में कोई और था

पस-ए-आइना ख़द-ओ-ख़ाल में कोई और था

कोई सामने था ख़याल में कोई और था

जो दिनों के दश्त में चल रहा था वो मैं न था

जो धड़कता था मह-ओ-साल में कोई और था

कोई और था मिरे साथ दौर-ए-उरूज में

मिरे साथ अहद-ए-ज़वाल में कोई और था

जिसे सैद करना था दाम में वो चला गया

वो जो रह गया तिरे जाल में कोई और था

थी ज़मीं रऊनत-ए-रअ'द-ओ-बर्क़ से मुज़्महिल

पस-ए-अब्र-ओ-बाद-ए-जलाल में कोई और था

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In Hindi By Famous Poet Sattar Syed. is written by Sattar Syed. Complete Poem in Hindi by Sattar Syed. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.