कैसे बुझाएँ कौन बुझाए बुझे भी क्यूँ
इस आग को तो ख़ून में हल कर दिया गया
Wasi Shah
Rahat Indori
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Gulzar
Allama Iqbal
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
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ख़्वाब और तमन्ना का क्या हिसाब रखना है
कोई जवाज़ ढूँडते ख़याल ही नहीं रहा
बिस्तर और बावर्ची
इर्तिक़ा
वक़्त भी अब मिरा मरहम नहीं होने पाता
अरीज़े की डाली
मिरे जज़्बों को ये लफ़्ज़ों की बंदिश मार देती है
ख़ला में लुढ़कती ज़मीन
गुम-शुदा लम्हे की तलाश
ख़ाली ख़ाली रस्तों पे बे-कराँ उदासी है
बे-परों की तितली
बे-तहाशा उसे सोचा जाए