शेरी का नौहा
मुझे आज फिर
अपने पास से
मुर्दा गोश्त की बू आ रही है
मिरी कोख एक बार फिर
ख़ून के आँसुओं से
पाक कर दी गई है
और हवा से
लोरियों की पहली चीख़ छीन के
मेरी आवाज़ में दफ़्न कर दी गई है
मेरे आसमान ने
गहरी नींद से
चौंकने के बाद
फिर से आँख मूँद ली है
मेरे फ़रहाद ने
अपना इश्क़ साबित करने के लिए
मेरे जिस्म से एक
ख़ून आलूद नहर खोद ली है
(505) Peoples Rate This